सिमरिया घाट

हे जन्मभूमि शत बार धन्य, तुझ सा न सिमरिया घाट अन्य

गुरुवार, 23 सितंबर 2010


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चांदी की गंगा,सोने की देह...

पाठको! सिमरिया घाट में कई सिमरिया हैं.एक सिमरिया साहबजी का है,एक बांके मोची का है,एक पंडे-पुजारी-धर्मधारी का है,एक इंकलाबी मजूर-किसान का है.एक नामवर लेखक दिनकर का है,एक गुमनाम कवि शक्र का है.एक विद्यापति का है,एक अंग्रेज ठीकेदार जिम कार्बेट का है,एक प्रफुल्ल चाकी की कटी हुई गर्दन की चीख का है,एक पनिया जहाज का है,एक धुकधुक करती कमला एक्सप्रेस का है ,एक घरघर-खरक-खर करते राजेन्द्र पुल का है.एक सिमरिया ससिधरवा की आत्मा में है जो समय -कुसमय भादो के हाहाकार की तरह बहता,उठता,गिरता,मचलता,उफनता रहता है.आइये 'विश्वग्राम' के दौर में ससिधरवा के बदलते गांव की 'गामकथा' में उतरिये!

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मेरे बारे में

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रामाज्ञा शशिधर
बनारस, उत्तर प्रदेश, India
साहित्य लेखन , अध्यापन, पत्रकारिता और एक्टिविज्म में सक्रिय. शिक्षा-एम्.फिल. जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा पी.एचडी.,जे.एन.यू.से. समयांतर(मासिक दिल्ली) के प्रथम अंक से ७ साल तक संपादन सहयोग.इप्टा के लिए गीत लेखन.बिहार और दिल्ली जलेस में १५ साल सक्रिय .अभी किसी लेखक सगठन में नहीं.किसान आन्दोलन और हिंदी साहित्य पर विशेष अनुसन्धान.पुस्तकालय अभियान, साक्षरता अभियान और कापरेटिव किसान आन्दोलन के मंचों पर सक्रिय. . प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए कार्य. हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं हंस,कथादेश,नया ज्ञानोदय,वागर्थ,समयांतर,साक्षात्कार,आजकल,युद्धरत आम आदमी,हिंदुस्तान,राष्ट्रीय सहारा,हम दलित,प्रस्थान,पक्षधर,अभिनव कदम,बया आदि में रचनाएँ प्रकाशित. किताबें प्रकाशित -1.बुरे समय में नींद 2.किसान आंदोलन की साहित्यिक ज़मीन 3.विशाल ब्लेड पर सोयी हुई लड़की 4.आंसू के अंगारे 5. संस्कृति का क्रन्तिकारी पहलू 6.बाढ़ और कविता 7.कबीर से उत्तर कबीर फ़िलहाल बनारस के बुनकरों का अध्ययन.प्रतिबिम्ब और तानाबाना दो साहित्यिक मंचों का संचालन. सम्प्रति: बीएचयू, हिंदी विभाग में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर के पद पर अध्यापन.
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